HINDI KAHANI | HARD WORK

HINDI KAHANI | HARD WORK

HINDI KAHANI


 

एक समय की बात है। एक गाँव में दो मित्र रहते थे उनका नाम थ संजु और राजु। दोनों बहुत ही गहरे मित्र थे, लोग उनकी दोस्ती की मिसाल दिया करते थे,

 
लोग उनको देखकर बहुत ही खुश  होते...


राजु बहुत ही आस्तिक था भगवान मे बहुत विश्वास रखता और बहुत पुजा पाठ करता। और दुसरी और संजु बहुत ही परिश्रमी था, जो भी काम करता खुब मन लगाकर करता। उन दोनों ने एक बार एकदुसरे से बात करते हुए एक- एक कर अमीर बनने की सोची।

तो दोनो ने मिलकर दो बीघा जमीन खरिद ली।

दोनों ने खेती के जरिये अमीर बनने का सोचा।


संजु ने कहा - "भाई राजु यदि हम दोनों मन लगाकर इस खेत में काम करेंगे तो हमारे खेत की फसल बहुत ही अच्छी आएगी। और हम इसे शहर ले जाकर वहाँ बेचेंगे बहुत पैसा आएगा। पर हमें मेहनत बहुत करनी पडेगी।


तो राजु ने कहा- हाँ भाई यदि ऊपरवाले का मन हुआ तो हम जरुर ही ये सब कुछ करेंगे।


ऐसा कहकर दोनों ने अपनी अपनी बात एकदुसरे के सामने रखी।


इधर संजु बहुत मेहनत करने लगा था। खेतों को साफ करता, मिट्टी खोदता, उसमें बीज बोता।


और दुसरी तरफ राजु सिर्फ भगवान जी से उम्मीद लगाए रहा। उसका मानना था कि मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है, जो भी होगा बस भगवान के आशीर्वाद से होगा। इसलिए सब उसपर छोड दो और जिंदगी के मजे लो, मेहनत कोई चीज नही सब व्यर्थ है।


दिन बीतते गए, देखते ही देखते पुरे खेत में हरियाली छा गई, बीज अंकुरित हो चुके थे। और बहुत ही अच्छी फसल होने वाली थी। यह देखकर संजु ने कहा- " देखा राजु मेहनत का फल कैसे अपने खेतों में दिख रहा है।


तो राजु बोला- " यह सब उस प्रभु की लीला है। मै रोज इतने जप तप करता हूँ ना ये उसका फल है।


संजु ने कुछ नहीं कहा बस वह मन लगाकर रोज अपना काम करता और फसल की देखभाल करता।


कुछ दिनों बाद खेतों की जमीन पर फसल लहलहाने  लगी फसल बहुत बड़ी हो चुकी थी और पुरी जमीन फसल से भर गई। संजु और राजु दोनों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। वे दोनों बहुत ही खुश थे।


फसल को देखते ही राजु ने आसमान की तरफ हाथ बढाया और कहा- कि हे प्रभु...! ये सब आपकी ही कृपा है। यह सब आपकी भक्ति का ही फल है भगवान ऐसा कहकर उसने भगवान का धन्यवाद किया।


देखा संजु तुझे कहा था ना ये मेहनत कुछ नहीं होती। भगवान जी जैसा चाहते हैं वैसा होता है।


अब फसल बेचने का समय आया, दोनों मिलकर शहर गयें, वहाँ फसल बेची। फसल बेचकर उन्हें बहुत लाभ हुआ। अब बारी थी पैसो के बटवारे की, क्योंकि जो जमीन खरीदने थी वो दोनों ने मिलकर खरीदने थी।


अब संजु ने कहा- "भाई राजु सुनो...! खेत जोतने से लेकर फसल की कटाई तक सारी मेहनत मैंने की है। तो लाभ में से ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए। चाहे तुम कुछ भी कहो सच यही है कि मुझे लाभ में ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिए।


तब राजु ने कहा- " अरे ओ संजु...! क्या ये भगवान के आशीर्वाद के बिना संभव था। और आशीर्वाद मैनें मांगा था, पुजा मैंने की थी। तो मुझे लाभ का ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिए। समझे तुम...!


दोनों में अब धीरे- धीरे बहस होने लगी अब दोनों एक दूसरे के साथ कडक आवाज में बात करने लगे। वे भुल चुके थे कि लोग हमारी दोस्ती की मिसालें देते हैं।

यह पहली बार था कि उन दोनो में ऐसा विवाद हुआ।

अब ये विवाद थम नहीं रहा था। तब दोनों गाँव के मुखिया के पास गये।


मुखिया जी ने सारी बातें सुनीं, और मुखिया जी समझ चुके थे। उन्होंने कहा-  " सुनो राजु और संजु.... मैं दोनों को एक काम देता हूँ। दोनों में से जो इस कठिन कार्य को कर देगा वो इस लाभ मे से ज्यादा हिस्सा पाने का हकदार होगा।


क्या तुम दोनों इस चुनौती के लिए तैयार हो।


दोनों ने जवाब दिया- " हाँ मुखिया जी हम तैयार है।


मुखिया जी ने उन दोनों को दो बोरिया दी और कहा- सुनो...! इन दोनों बोरियों में कंकड़ मिले चावल है। तुम दोनों को कल तक इन दोनों बोरियों में से कंकड़ और चावल अलग करके लाना पडेगा। दोनों के लिए एक एक बोरी है, मैं फिर कल तुम दोनों का काम देखने के बाद सोचुगां की क्या करना है।


दोनों अपनी-अपनी बोरिया ले जाकरजाकर अपने घर की और चले गए।


अब संजु मंदिर की और गया और भगवान से प्राथर्ना करने लगा। कि हे प्रभु- तुम बस आशीर्वाद दो। तो भगवान ये सब संभव होगा। और मैं ही ज्यादा हिस्से का पात्र हूँ ये साबित हो जाएगा।


और दुसरी और संजु रात को दिया जलाकर कंकड़ और चावल को अलग करना लगा। और दुसरी और राजु भगवान के लिए बोरी रखकर सो जाता है। की उनके आशीर्वाद से सब हो जाएगा।


अगली सुबह संजु मुखिया जी के पास आया और कहा - मुखिया जी! सारा चावल तो साफ नहीं हो सका थोड़ा बचा है।

मुखिया जी ने कहा रुको संजु अभी राजु ने क्या किया अभी तो ये भी देखना बाकी है।


अब राजु भी भगवान के पास से अपनी बोरी उठाकर मुखिया जी के पास चला जाता है।

फिर मुखिया जी ने कहा- " राजु क्या तुम सारा चावल कंकड़ से अलग करके लाये हो। तो राजु ने जवाब दिया- " नहीं मुखिया जी मुझे करने की जरूरत नहीं जो ऊपरवाला चाहता है वही होता है। उसके आशीर्वाद से सब चावल अलग हो गये होगें। मुझे विश्वास है कि उनका आशीर्वाद मुझे जरूर प्राप्त हुआ होगा।


मुखिया जी मुस्कुराए और कहा - " राजु तुम्हारी बोरी जरा इधर लाकर बताना मुझे देखना है कि तुम्हे भगवान का आशीर्वाद मिला या नहीं।


जब राजु ने बोरी खोली तो उसमें कंकड़ वैसे ही भरे थे। जैसे कि मुखिया जी ने दिये थे।


तब मुखिया जी ने हँसकर जवाब दिया - भगवान ने हमको हाथ दियें है। वो मेहनत करने के लिए दिए है।

और वो उन्हें ही आशीर्वाद देते हैं जो मेहनत करते हैं।

समझे राजु....!


इसलिए यही सही है कि  संजु के परिश्रम से ही अच्छी फसल हुई तुमने कोई मेहनत नही की इसलिए। लाभ में से ज्यादा हिस्सा संजु को ही मिलना चाहिए। वही इसका हकदार है।


अब राजु समझ चुका था कि वो क्या भुल कर रहा है। तब उसने अपनी भुल को सुधारा। और भगवान के आशीर्वाद के साथ साथ वह मन लगाकर मेहनत भी करने लगा। दोनों में फिर से गहरी दोस्ती हो गई। संजु बहुत खुश हुआ। और दोनों साथ मिलकर काम करने लगे। और फिर फसल और अच्छी हुई और अत्यधिक लाभ हुआ। और उस दिन के बाद दोनों में कभी बँटवारे को लेकर कोई झगड़ा नहीं हुआ।



 

कहानी से सीख -  हमें हमारी मेहनत का फल अवशय मिलता है। भगवान हमेशा मेहनत और परिश्रम करने वालो की ही  मदद करते हैं। बिना मेहनत के कभी हम सफल नहीं हो सकते। तो मेहनत करिये। सफलता हमेशा आपकी राहों में होगी।

 

धन्यवाद...!