Poem On Mother | Love For Her Baby | Mother Poem In Hindi

Poem On Mother | Love For Her Baby | Mother Poem In Hindi

POEM ON MOTHER | ABOUT MOTHER LOVE

माँ, नाम से ही प्यार की अनुभूति हो जाती है। यह सव्ज्ञ है, यह अपना पहला प्यार, मानो इनके प्यार को बयां करने के लिए शब्द ना बने हो, इश्वर द्वारा बनाई गई ये अद्भुत कृति, परंतु इसे भी ईश्वर की ही उपाधि दी गई है। 


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माँ के लिए को परिभाषा ही नहीं बनी। वात्सल्य और प्रेम करना कोई माँ से सीखे, निस्वार्थ भावना का प्रेम, हमेशा आपका अच्छा और खुद को तकलीफ में रखकर भी सिर्फ आपके लिए जीना, आपकी जरुरतों और आपकी ख्वाहिशों को पुरा करना बस यह सारी बातें मानो सृष्टि में सिर्फ माँ में ही समाहित की हो। 

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जन्म के समय का पहला सृपर्श, और करूणामय भाव यह जिज्ञासा सिर्फ माँ में निहित है। एक औरत का मन बड़ा ही सरल और नरम होता है। पर वह यदि माँ की भुमिका में हो तो उससे मजबुत, और उससे बलवान व्यक्ति कोई नहीं, माँ हमेशा अपने  बच्चों के लिए मजबुत होकर एक ढाल बनकर सामने खडी होती है।
माँ शब्द छोटा है सिर्फ एक शब्द माँ, और इसके अनेकों मायने, और भावनाएँ प्रर्दशित करता है। यह केवल शब्द नहीं एक व्यक्ति का पुरा संसार और उसकी पुरी दुनिया हो सकती है। यह निश्छल प्रेम का एकमात्र उदाहरण है। जो इस सृष्टि में समाहित हैं।


जन्म के समय यह माँ पहला अपना कोई भोजन, आहार हो तो वह इसका दुध होता है, जिसका कर्ज हम कभी अदा नहीं कर सकते। और तब से लेकर वह अपनी आखिरी साँस तक बस अपने जीवन को अपने बच्चों और अपने परिवार को समर्पित कर देती है। और वह अपने हर एक बच्चे के लिए समान भाव रखती है। और यह खुबी बखूबी सिर्फ एक माँ ही निभा सकती है

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अद्भुत प्रेम की प्रतिमा का स्वरुप भी एक माँ को ही दिया गया है। बच्चे माँ के आँचल में पलते बढते कब बडे बन जाते हैं पता नहीं चलता पर माँ अपने बच्चों के लिए हमेशा वही बचपन सा समान भाव रखती है।
हमेशा माँ को ईशवर की संज्ञा दी गई है। कहा जाता है कि - भगवान हमेशा सबके पास नहीं रह सकते हमेशा सिर्फ आपका ध्यान नही रख सकते इसिलिए उन्होंने माँ बनाई। माँ को भगवान की उपाधि दी गई है। और वह संपुर्ण रूप से सच साबित होती है। एक माँ को कई नाम से संबोधित किया गया है अलग अलग भाषाओं, प्यार में अलग अलग नाम- माँ, मम्मी, अम्मा, आई, मदर, माॅम, मात, जननी, माई, आदि अनेकों नाम दिये गये हैं नाम कितने भी हो पर प्रेम और वात्सल्य हमेशा वही होता है। जो ईश्वर का प्रतीक है। 

माँ केवल मनुष्य रुप में ही नहीं अपितु वह प्रत्येक प्राणी के रुप में अपने बच्चों के लिए प्रेम और सद्भाव रखती है। जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। और यह करना असंभव है। माँ से बलशाली, और प्यार और करूणामय इस संसार में और कोई नहीं हो सकता। 


संस्कृत में एक श्लोक कहा गया है। 

गुरुणामेव सव्रृषां माता गुरुतरा  स्मृता।। 

अथार्त-

सब  गुरु में माता को सवश्रेष्ठ माना गया है। 


MOTHER POEM IN HINDI 



माँ है मेरी प्राण से प्यारी

इस दुनिया में सबसे न्यारी

चोट लगे तो दर्द उसे हो

मै रोऊँ तो मर्ज उसे हो

वो है मेरी भाग्य विधाता

सबसे गहरा उससे नाता

उससे ही तो मेरी खुशी है

हर हँसी में वही बसी है

मेरी उम्र भी उसे लगी हो

हर रग में बस वही रची हो

उस पर मैं कुबऻन हो जाऊँ

कैसे उसका कर्ज चुकाऊं.... ❤



WE ARE BORN OF LOVE... 
LOVE IS OUR MOTHER