PUB-G HINDI KAHANI| STORY

 
PUB-G HINDI KAHANI| STORY
 

      PUB-G REAL STORY IN HINDI


 

आज के युग बड़ा ही बलवान है। यह सब तो PUB-G का अंजाम है📱

 

एक समय की बात है एक शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार रहता था उस परिवार में एक पति पत्नी और एक उनकी बेटी थी। बेटी का नाम था अंजली वह बेटी सारा दिन बस मोबाइल में लगी रहती। जब भी उसकी माँ उसे काम के लिए आवाज़ लगाती कि - "अंजली बेटा जरा काम में मेरी मदद करवा दो। तो वह अपनी माँ की बात को अनसुना कर देती और एक ना सुनती। इसी बात की शिकायत अंजली की माँ अपने पति से करती -
कि सुनिए जी...! यह घर में जो भी हो रहा है ना ये आपकी ही वजह से हो रहा है,

 

इतने में उसके पति ने तन्नाकर पलट जवाब दिया - "कि मैनें क्या किया है ? मेरी वजह से क्या किया है?

 

तो अंजली की माँ ने कहा - " हाँ जी सही कह रही हूँ सबके जिम्मेदार आप ही है। क्योंकि ना आप अंजली को बडा मोबाइल लाकर देते और ना वो इतनी कामचोर बनती।

 

तब पति ने कहा- अरे तुम समझती नहीं हो हमारी बेटी फस्र्ट क्लास पास हुई है। तो कुछ तो देना बनता है ना। तो अंजली को मोबाइल चाहिए था वो लाकर दे दिया तो उसमें गलत क्या किया।

 

फिर अंजली की माँ गुस्से से बोली- "ओहो फस्र्ट क्लास पास हुई है तो। मोबाइल है अच्छी बात है। पर यदि ससुराल जाएगी तो नाम कमाएगी, वहाँ डिग्री नहीं देखेंगे फस्र्ट क्लास की वहाँ तो थोड़ा काम करना ही पडेगा। और ये तो यहाँ ना मेरी काम में मदद करती है और ना ही मेरा कोई कहा सुनती है...

 

तो पति ने मजाकिया अंदाज में जवाब दिया- " कि मेरी बेटी तो ससुराल जाएगी ही नहीं, तुम पुरी जिंदगी उसे लाड प्यार करना और अपने हाथों से खाना खिलाना।

 

अंजली की मा ने कडक आवाज में कहा- सुनो जी..! तुम ज्यादा ना बोलो तुम्ही ने बिगाडा है, वो सारा दिन मोबाइल पर पता नहीं क्या खेलती रहती है। इधर उधर का गेम और बस खुद से ही बोलती रहती है जोर जोर से...

 

पति ने कहा - " अरे पगली..! वो तो PUB-G गेम है
अंजली की माँ तपाक से बोली- " हाँ, हाँ वही PUB-G सब्जी गेम... पता नहीं क्या होगा इस लडकी का बस यही चिंता सताती है मुझे....

 

बस इस बात को कुछ ही दिन बीते थे.. सबकुछ वैसा ही चल रहा था। कि एक दिन अंजली को देखने वाले लोग आते हैं (शादी के लिए) लडका भी साथ आता है। लडके का नाम वैभव है। लडके की माँ भी साथ आती है।

 

लडके की माँ मीठे स्वर में कहती है- " अरे वाह..! आपकी लडकी तो बहुत ही सुंदर है। यह कहा तक पढी है?

 

तो अंजली के पिताजी ने बहुत ही गर्व से कहा- "मेरी बेटी अंजली ग्रेजुएट है। वो भी फस्र्ट क्लास

 

तो लडके की माँ ने कहा - अरे वाह मै तो वैभव के लिए ऐसी ही एक पढी-लिखी लडकी ढुँढ रही थी, यह कहकर उसने वैभव से पुछा- " बेटा क्या तुम्हे अंजली पसंद है?

 

वैभव ने शरमाते हुए कहा - हाँ माँ...

और दोनों की शादी पक्की हो गई और दोनों के घरवाले एकदुसरे का मुँह मीठा करवाने लगे।

 

अब दुसरी और अंजली सारा दिन PUB-G खेला करती सुबह,शाम, रात सारा दिन बस इसी में बिताती।

 

माँ को चिंता सताने लगी। उसने अंजली से गुस्से में कहा- " अरे नालायक...! कुछ तो काम सिख ले। ससुराल वाले ताना मारेंगे की घरवालो ने कुछ नहीं सिखाया तब तुझे समझ आएगी।

 

इतना बोलने की बाद भी अंजली का माँ की बातो पर जरा भी ध्यान नही था।

 

कुछ दिनों बाद अंजली और वैभव की बडी ही धुमधाम से शादी हुई सभी बहुत खुश थे।

 

शादी वाली रात जब वैभव अपने कमरे में जा रहा था तो वह बहुत ही नरवस हो रहा था। पर जैसे ही उसने कमरे का दरवाजा खोला वह चकित रह गया। कमरे के हाल ही कुछ और थे। अंजली बेड पर लेटी हुई दोनों पैरों को हिलाते हुए बडे ही मजे से PUB-G खेल रही । पर वैभव को समझ नहीं आ रहा की वह क्या बोले वह बिना कुछ कहे चुपचाप सो जाता है। और अंजली सारी रात PUB-G खेलती रहती है।

 

अगली सुबह अंजली सास ने सारा नाश्ता बना कर तैयार कर लिया और बड़े ही प्यार से अंजली को आवाज लगाया- अरी बहु....! दो तीन बार आवाज लगाने पर भी अंजली कमरे से बाहर नहीं आई। तो सास ने सोचा कि देखती हुं चलकर की बहुत अबतक बाहर क्युं नही आई। जब सास कमरे में गई तो अंजली नहाकर तैय्यार होकर लेट गई और फिर वही PUB-G
की शुरुआत कर दी। यह देखकर

सास ने कहा- " बहु मैं कब से तुम्हे आवाज लगा रही हूँ और तुम गेम खेल रही हो।

 

तब अंजली ने जवाब दिया- " वो.... सासु माँ यदि में गेम छोडकर आ जाती तो कोई मुझे गेम में मार देता..
2 मिनट सासु माँ बस 2 मिनट...

तो सास ने कहा - ठीक है! नाश्ता तैयार है, नाश्ता करने आ जाओ। इतना कहकर वह चली जाती है।

 

दुसरी और वैभव और उसकी माँ नाश्ता करने पहुँच चुके थे। और उनहोंने आधा नाश्ता कर भी लिया था और अंजली अबतक गेम ही खेल रही थी।

फिर सास ने वैभव से कहा - कि मैं कब से बहुत को आवाज लगा रही हूँ बोलकर भी आई की नाश्ता कर लो। पर वो है के गेम छोडती ही नहीं
यह सुनकर भी वैभव ने कुछ नहीं कहा और वो तो बस चुपचाप नाश्ता कर रहा था।

 

उसके बाद सास ने घर का सारा काम किया और खाना भी बनाया... यह सब करते हुए उसने समय देखा और बोला कि - हे भगवान...! ये लडकी अभी तक बाहार नहीं आई

 

अब सारा भोजन तैयार हो चुका था । अब खाना लगाते ही सास ने अपने बेटे और बहु को आवाज लगाया। अब वैभव तो टेबल पर आ चुका था पर अंजली के आने का कोई समय नहीं था, वह अभी तक नहीं आई। जब वैभव ने देखा कि अंजली अभी तक भोजन करने नहीं आई तो वह अंजली को बुलाने जाता है। और कहता है कि - "अंजली तुम अभी तक गेम खेल रही हो। माँ तुम्हे आवाज लगा रही है।

 

यह सुन अंजली बोली- अरे! अभी ही तो शुरू किया है तब वैभव ने कहा कि दोपहर के 1:30 बज गए और तुम अभी तक गेम खेल रही हो।
यह सुनकर अंजली बोली- अरे क्या ? सच में 1:30 बज गए तभी में सोच रही थी कि मुझे इतनी भुख क्यों लगी है।

 

तब जाकर अंजली ने अपना मोबाइल रखा और वह खाना खाने चली गई। अब तीनों साथ भोजन करने लगे। तब सास ने कहा बहु में कब से तुम्हे आवाज लगा रही थी। तब अंजली बोली- साॅरी सासु माँ मे वो गेम खेल रही थी। अब मैं खाना खा लुं मुझे बहुत भुख लगी है। यह सुनकर वैभव और उसकी माँ हँस दिये और खाना खाने लगे।

 

फिर सास ने कहा- "सुनो बहु....! तुम गेम खेलने मत लग जाना। तुमसे मिलने मेरी सहेलियाँ आ रही हैं। अंजली ने कहा ठीक है सासु माँ

अब अंजली अपने कमरे मे गई और तैय्यार हो गई। और फिर उसकी नजर टेबल पर रखे मोबाइल पर पडी। तो उसने सोचा कि अभी तो मेहमानों को आने में टाइम लगेगा तब तक थोडा गेम खेल लेती हूँ। और गेम शुरू कर दिया।

 

तब उसकी सास आई और कहा - चलो बहु... सब आ चुके हैं। तब अंजली ने कहा ठीक है सासु माँ और वह साथ चल दी। जब सास की सहेलियों ने अंजली को देखा तो उसकी बहुत तारीफ की यह सुनकर अंजली की सास बहुत ही खुश हुई।

लेकिन अगले दिन फिर वही PUB-G शुरू हो गया।
सारा काम अंजली की सास करती और उसे कई आवाज लगाती पर अंजली उन आवाज को अनसुना कर बस गेम खेलती रहती।

अब सास ने वैभव से उसकी शिकायत की कि ये रोज के गेम से में परेशान हो चुकी हूँ। तब वैभव ने कहा - माँ मैं क्या करु मैं खुद तंग आ चुका हूँ। तब सास ने कहा हमें इसके परिवार वालो से बात करनी चाहिए। तब वैभव ने कहा- माँ जैसा आपको ठीक लगे।

सास ने अंजली के माँ पापा को बुलाया और सारी बातें बताई। और कहाँ मैं इतना कहती रहती हूँ पर ये मेरी एक बात नहीं सुनती सार दिन कोई गेम है PUB-G उसमें लगी रहती है। मुझे मेरे बेटे के लिए एक समझदार बहु चाहिए थी। ये इतना गेम (गेम एडिक्टेड) खेलने वाली नहीं आप इसे अपने साथ ले जाइए।

अंजली के पापा माँ बहुत ही शर्म से पानी हो गए। उनहोंने अंजली की सास को बहुत समझाने की कोशिश की पर उसने एक ना सुनी और अंत में अंजली को अपने माँ पापा के साथ अपने घर जाना पड़ा।

 

अब अंजली कि माँ बडी चिंतित थी उसने बडे दुखद स्वर में अपने पति से कहा - "मै ना कहती थी कि ये ससुराल में नाम कमाएगी। देखिए ये सब क्या कर दिया।

 

तो अंजली के पिता ने कहा - " हाँ तुम सही कहती थी पर मै ही समझ नहीं पाया। अब मैं क्या करुणा सबको क्या मुँह दिखाऊंगा।

 

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंजली को कुछ चिंता नहीं थी वह अब भी अपने PUB-G में मग्न थी। और चिल्लाती रहती थी! ऊपर चढो..!
मुझे वो मार देगा। सब जल्दी गाड़ी मैं बैठो....पर उसे नहीं पता था कि उसकी जिंदगी की गाड़ी तो पटरी से उतर चुकी है...!

कहानी से सीख - इंसान कि कोई भी हद से ज्यादा वाली आदतें (ADDICTION) उसके पतन का कारण बनती हैं। उसके लिए हानिकारक सिद्ध होती है।

अच्छी आदतें बनाएं। अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करे। हर एक चीज का अपना समय होता है। और वे समय पर ही अच्छी लगती है। हमेशा नहीं

धन्यवाद...!